पिताजी अपने बच्चे को रोज साइकिल से स्कूल लेे जाते
बहुत कहने पर भी बच्चे ने साइकिल
एक दिन उसके पिता जी ने उसे सीट पर
बिठाया और कहा - चिंता मत करना बेटा मैं पीछे से पकड़ा हुआ हूं।
बस तुम पैडल मरते रहो । इतना कह कर पिताजी ने बच्चे को पैडल मरते देख कर पिता जी ने धीरे से हाथ खींच लिए।
बच्चा लड़खड़ाया ,पर साइकिल चलाना सीख गया ।
घर पहुंच कर उसने अपनी मां से शिकायत कि_ माँ !
आज तो पिताजी मेरी टकर ही करवा देते। मैं खुद साइकिल चला कर घर लौटा हूं।
प्रयास करने से ही कार्य में दक्षता और प्रखरता आती है।
प्रकृति का यही नियम है,जो अपनी सहायता खुद नहीं करते ,उनकी सहायता कोई नहीं कर पाता।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें